Friday, June 10, 2011

दोस्ती

चाहत कहे या तमन्ना ,है एक दिल में
हँसते ही जाये हम इस महफ़िल में ||

बेगानी सी लगती है ये दुनिया अब सारी
दोस्तों में ही बीत जाती है शाम हमारी||

कठोर है ये दुनिया न चाहे हम रहे ऐसे
करे परेशान और बोले कमा बेटा अब पैसे ||

दोस्तों जिन्दगी के सफ़र में बढ़ते ही जाना
पर याद रहे इस दोस्ती को कभी ना भुलाना ||

2 comments:

  1. and these line specially for catabre whose poem (http://catabre.blogspot.com/2011/06/blog-post.html)inspired me to write this one

    चलते चलते हमें नए लोग भी मिलेंगे
    पर दोस्तों ! हम एक दिन फिर मिलेंगे

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